White वो आए भी उस पल, जब हम दो पल के मेहमान थे। रो | हिंदी शायरी

"White वो आए भी उस पल, जब हम दो पल के मेहमान थे। रोए भी वो और हमसे माफी भी मांगी, पर अफसोस हम उन्हें माफ ना कर सके। अब वो जीवन भर साथ निभाने को तैयार थे, लेकिन मेरे दोस्त मुझे कंधो पे उठाए हुए थे। जला के मुझे जब वापस आए सब लोग, खिलखिला के हंसती मिली वो हर रोज। खाई थी जो कसमें उसने साथ मरने की, मेरे मरते ही वो कसमें भी झूठी हो गई। जीवन के हर दौर में जो मेरे साथ होना चाहते थे, मेरे जाते ही वो किसी और के हो गए। ©Ashish Yadav"

 White वो आए भी उस पल,
जब हम दो पल के मेहमान थे।
रोए भी वो और हमसे माफी भी मांगी,
पर अफसोस हम उन्हें माफ ना कर सके।
अब वो जीवन भर साथ निभाने को तैयार थे,
लेकिन मेरे दोस्त मुझे कंधो पे उठाए हुए थे।
जला के मुझे जब वापस आए सब लोग,
खिलखिला के हंसती मिली वो हर रोज।
खाई थी जो कसमें उसने साथ मरने की,
मेरे मरते ही वो कसमें भी झूठी हो गई।
जीवन के हर दौर में जो मेरे साथ होना चाहते थे,
मेरे जाते ही वो किसी और के हो गए।

©Ashish Yadav

White वो आए भी उस पल, जब हम दो पल के मेहमान थे। रोए भी वो और हमसे माफी भी मांगी, पर अफसोस हम उन्हें माफ ना कर सके। अब वो जीवन भर साथ निभाने को तैयार थे, लेकिन मेरे दोस्त मुझे कंधो पे उठाए हुए थे। जला के मुझे जब वापस आए सब लोग, खिलखिला के हंसती मिली वो हर रोज। खाई थी जो कसमें उसने साथ मरने की, मेरे मरते ही वो कसमें भी झूठी हो गई। जीवन के हर दौर में जो मेरे साथ होना चाहते थे, मेरे जाते ही वो किसी और के हो गए। ©Ashish Yadav

#Sad_shayri

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