छोटी सी गलती की बेसुमार मार झेलता गया जिंदगी मे अच | हिंदी शायरी

"छोटी सी गलती की बेसुमार मार झेलता गया जिंदगी मे अच्छा बनने की जिद मे खुद से ही फिसलता गया... कहेना बहूत है मगर सब्र ने मुझे रोख लिया जान बहूत है मगर मेरे जह़ेन ने टोक दिया... लम़हा सफर बहूत है मगर जिम्मेदारीने थक़ना मना कर दीया.. ©ganesh suryavanshi"

 छोटी सी गलती की बेसुमार मार झेलता गया
जिंदगी मे अच्छा बनने की जिद मे
खुद से ही फिसलता गया...
कहेना बहूत है मगर सब्र ने मुझे रोख लिया
जान बहूत है मगर मेरे जह़ेन ने टोक दिया...
लम़हा सफर बहूत है मगर जिम्मेदारीने थक़ना मना कर दीया..

©ganesh suryavanshi

छोटी सी गलती की बेसुमार मार झेलता गया जिंदगी मे अच्छा बनने की जिद मे खुद से ही फिसलता गया... कहेना बहूत है मगर सब्र ने मुझे रोख लिया जान बहूत है मगर मेरे जह़ेन ने टोक दिया... लम़हा सफर बहूत है मगर जिम्मेदारीने थक़ना मना कर दीया.. ©ganesh suryavanshi

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