फिर आज कोई गजल तेरे नाम न हो जाये कहीं लिखते लिखते

"फिर आज कोई गजल तेरे नाम न हो जाये कहीं लिखते लिखते शाम न हो जाये कर रहे हैं इन्तजार प्रभु जी आपके दीदार का इसी इन्तजार में जिन्दगी तमाम न हो जाये"

 फिर आज कोई गजल तेरे नाम न हो जाये
कहीं लिखते लिखते शाम न हो जाये
कर रहे हैं इन्तजार प्रभु जी आपके दीदार का
इसी इन्तजार में जिन्दगी तमाम न हो जाये

फिर आज कोई गजल तेरे नाम न हो जाये कहीं लिखते लिखते शाम न हो जाये कर रहे हैं इन्तजार प्रभु जी आपके दीदार का इसी इन्तजार में जिन्दगी तमाम न हो जाये

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