एक बार को गंभीरता को भी रोते देखा, हुआ न विश्वास, | हिंदी विचार

"एक बार को गंभीरता को भी रोते देखा, हुआ न विश्वास, पर टूटते देखा, बह गया था दर्द जिनका आंसू बनकर, बस सिर्फ चुपचाप ही रहते देखा।। ©a तिवारी"

 एक बार को गंभीरता को भी रोते देखा,
हुआ न विश्वास, पर टूटते देखा,
बह गया था दर्द जिनका आंसू बनकर,
बस सिर्फ चुपचाप ही रहते देखा।।

©a तिवारी

एक बार को गंभीरता को भी रोते देखा, हुआ न विश्वास, पर टूटते देखा, बह गया था दर्द जिनका आंसू बनकर, बस सिर्फ चुपचाप ही रहते देखा।। ©a तिवारी

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