दौर था जो नब्बे का मै उसका इक परिंदा हूं, बस यही इ | हिंदी Life Video

"दौर था जो नब्बे का मै उसका इक परिंदा हूं, बस यही इक है वजह की आज भी मै जिंदा हूं, बैठ के रामायण जब सब देखते थे साथ में, बस एक टीवी गांव में था ना रिमोट था हाथ में, जब भी आता था वो संडे करता सुबह खुशगवार, सारा घर ही उस सुबह में देखता था चित्रहार, चंद्रकांता, तू तू मै मै, व्योमकेश बक्शी या हो किरदार, हफ्ते हफ्ते देखने को हम थे करते इंतजार, एक था तब फोन घर में सबको सबसे था जोड़ता, घंटी जो बज जाए हर कोई था उठाने दौड़ता, दौर था जो नब्बे का मै उसका इक परिंदा हूं, बस यही इक है वजह की आज भी मै जिंदा हूं, ©Pankaj Pahwa "

दौर था जो नब्बे का मै उसका इक परिंदा हूं, बस यही इक है वजह की आज भी मै जिंदा हूं, बैठ के रामायण जब सब देखते थे साथ में, बस एक टीवी गांव में था ना रिमोट था हाथ में, जब भी आता था वो संडे करता सुबह खुशगवार, सारा घर ही उस सुबह में देखता था चित्रहार, चंद्रकांता, तू तू मै मै, व्योमकेश बक्शी या हो किरदार, हफ्ते हफ्ते देखने को हम थे करते इंतजार, एक था तब फोन घर में सबको सबसे था जोड़ता, घंटी जो बज जाए हर कोई था उठाने दौड़ता, दौर था जो नब्बे का मै उसका इक परिंदा हूं, बस यही इक है वजह की आज भी मै जिंदा हूं, ©Pankaj Pahwa

#samay #नब्बे का दशक

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