जिन्हें थोडां भी मिला हैं वो और पाने को रो हैं रहे ।।
जिन्हें कुछ नहीं मिला हो, बता वो भला क्या करें।।
किसी का यहां दो रोटी से भी पेट नहीं भर है रहा ।।
जिन्हें एक भी रोटी नसीब नहीं, वो भला क्या करें।।
तुम्हें छत तो है फिर भी और जमीं को हो तरस रहे।।
जिन्हें एक टुकड़ा भी नहीं मिला, वो भला क्या करे।।
ए.सी नहीं ना सही पंखा तो तुम्हें नसीब होगा ही।।
जिन्हें पंखा भी नसीब नहीं,बता वो भला क्या करें।।
कोई पैदा ही अमीर हुआ कोई बुरे कर्म से बन गया।।
जिसे कहीं जगह नहीं मिली,बता वो भला क्या करें।।
©soumya Upadhyay
#ख़्वाहिशोंकीडायरीसे
#सौम्याउपध्याय