पतझड़ की रुत से जो रहे जुदा जुदा वो दरख़्त क्या जाने | हिंदी शायरी

"पतझड़ की रुत से जो रहे जुदा जुदा वो दरख़्त क्या जानेंगे मजा बसंत का ©Vishal Saini"

 पतझड़ की रुत से जो रहे जुदा जुदा
वो दरख़्त क्या जानेंगे मजा बसंत का

©Vishal Saini

पतझड़ की रुत से जो रहे जुदा जुदा वो दरख़्त क्या जानेंगे मजा बसंत का ©Vishal Saini

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