अ़जब की शाम है... सलामें शाम किसे पेश करें । जो नज़र से नज़र मिलाओ तो नज़र के जाम पेश करें। छूपें हैं इश्क़ के कुछ रोग़ दिल में जो पास आओ तो दिल का मकाम पेश करें यूं तो एहसास बहुत जतातें हैं जमानें में । ऐसा एहसास बता किसके नाम पेश करें।
एक दिन हम भी चांद की तरह खो जाएंगें चांद तो वापिस आ जाता है हम लौट कर नहीं आएंगें..............
©Gumnaam shayar
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