तेरी तन्हाईओं के पलों का हर लम्हा बन जाऊँ तेरी ऑंख | हिंदी कविता

"तेरी तन्हाईओं के पलों का हर लम्हा बन जाऊँ तेरी ऑंखों से अश्क बन गिर तेरे लबों की मुस्कान बन जाऊँ तेरे सारे गमों को चाय की प्याली में घोल पी जाऊँ और अपने हिस्से की सारी खुशियां तेरे नाम कर जाऊँ तूझे इल्म ही नहीं कि हम किस कदर चाहते हैं तुझको..."

 तेरी तन्हाईओं के पलों का हर लम्हा बन जाऊँ
तेरी ऑंखों से अश्क बन गिर तेरे लबों की मुस्कान बन जाऊँ 
तेरे सारे गमों को चाय की प्याली में घोल पी जाऊँ 
और अपने हिस्से की सारी खुशियां तेरे नाम कर जाऊँ 

तूझे इल्म ही नहीं कि हम किस कदर चाहते हैं तुझको...

तेरी तन्हाईओं के पलों का हर लम्हा बन जाऊँ तेरी ऑंखों से अश्क बन गिर तेरे लबों की मुस्कान बन जाऊँ तेरे सारे गमों को चाय की प्याली में घोल पी जाऊँ और अपने हिस्से की सारी खुशियां तेरे नाम कर जाऊँ तूझे इल्म ही नहीं कि हम किस कदर चाहते हैं तुझको...

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