फिर उसी की याद में दिल बेक़रार हुआ है,
बिछड़ के जिस से हुई शहर-शहर रुसवाई।
तेरी बेरूखी का अंजाम एक दिन यही होगा,
आखिर भुला ही देंगे तुझे याद करते करते।
मुद्दतें गुजरी और तेरी याद भी न आई,
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं।
कब देगा रिहाई मुझे इन यादों की कैद से,
ऐ इश्क अपने जुल्म देख मेरी उम्र देख।
©____NITIN_SAGAR___
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