संस्कार" ही मानव के "आचरण" का नीव होता है, जितने | हिंद

""संस्कार" ही मानव के "आचरण" का नीव होता है, जितने गहरे "संस्कार" होते हैं, उतना ही "अडिग" मनुष्य अपने "कर्तव्य" पर, अपने "धर्म" पर, "सत्य" पर और "न्याय" पर होता है। ━━━━✧❂✧━━━━ ©KRISHNA "

"संस्कार" ही मानव के "आचरण" का नीव होता है, जितने गहरे "संस्कार" होते हैं, उतना ही "अडिग" मनुष्य अपने "कर्तव्य" पर, अपने "धर्म" पर, "सत्य" पर और "न्याय" पर होता है। ━━━━✧❂✧━━━━ ©KRISHNA

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