तुम्हें गुलाब कहें भी तो कैसे वो तो मुरझा जाता है | हिंदी शायरी

"तुम्हें गुलाब कहें भी तो कैसे वो तो मुरझा जाता है पर तुम्हारी मुस्कान उसकी तरह गुलाबी है, तुम्हारी झलक हर महफिल में रौशनी फैलाती है कोई शख्स तुम्हारे आस पास से गुज़रे वो महकता है क्योंकि तुम्हारी खुशबू उसे मेहकाती है,, कुमार ©kumar Abhishek Bhartiya"

 तुम्हें गुलाब कहें भी तो कैसे वो तो मुरझा जाता है पर तुम्हारी मुस्कान उसकी तरह गुलाबी है,
तुम्हारी झलक हर महफिल में रौशनी फैलाती है
कोई शख्स तुम्हारे आस पास से गुज़रे वो महकता है क्योंकि तुम्हारी खुशबू उसे मेहकाती है,,




कुमार

©kumar Abhishek Bhartiya

तुम्हें गुलाब कहें भी तो कैसे वो तो मुरझा जाता है पर तुम्हारी मुस्कान उसकी तरह गुलाबी है, तुम्हारी झलक हर महफिल में रौशनी फैलाती है कोई शख्स तुम्हारे आस पास से गुज़रे वो महकता है क्योंकि तुम्हारी खुशबू उसे मेहकाती है,, कुमार ©kumar Abhishek Bhartiya

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