F.R.I.E.N.D.S दोहा सृजन (भाग - 2)
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मित्र मिलन की चाह में, माधव हुए बेहाल।
दुनिया सारी देख रही, केशव का ये हाल।।
देख मित्र की ये दशा, केशव हुए अधीर।
चरण मित्र के धों रहे , लोचन बरसे नीर।।
मुस्किल में जो साथ दे, वो है सच्चा मित्र।
ऐसे साथी का सदा, ह्रदय में रहे चित्र।।
©Uma Vaishnav
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