जब जब खुशियाँ माँगी मैंने बस काँटे ही डाले तुमने प | हिंदी कविता

"जब जब खुशियाँ माँगी मैंने बस काँटे ही डाले तुमने प्रभु!! जितना मैं मजबूर हुआ अब उतना कोई और भी है क्या ? खैर, जाओ बाँटो उन्हें जिन्हें जरूरत है तुम्हारी मैं फिर भी सदा तुम्हारा हूँ मेरे सिवा तुम्हारा कोई और भी है क्या ? ©Harishh,,,,,"

 जब जब खुशियाँ माँगी मैंने
बस काँटे ही डाले तुमने
प्रभु!! 
जितना मैं मजबूर हुआ अब
उतना कोई और भी है क्या  ? 

खैर,
जाओ बाँटो उन्हें
 जिन्हें जरूरत है तुम्हारी
मैं फिर भी सदा तुम्हारा हूँ
मेरे सिवा तुम्हारा
 कोई और भी है क्या  ?

©Harishh,,,,,

जब जब खुशियाँ माँगी मैंने बस काँटे ही डाले तुमने प्रभु!! जितना मैं मजबूर हुआ अब उतना कोई और भी है क्या ? खैर, जाओ बाँटो उन्हें जिन्हें जरूरत है तुम्हारी मैं फिर भी सदा तुम्हारा हूँ मेरे सिवा तुम्हारा कोई और भी है क्या ? ©Harishh,,,,,

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