सच्चा झूठ" मुस्कुराते हुए फूलों सा, एक सच्चा झूठ ह

"सच्चा झूठ" मुस्कुराते हुए फूलों सा, एक सच्चा झूठ है मेरा, बसंत की हवावो में फैले इत्र सा मैं भी जिवंत हो उठा हूं, तुझ में । मौन थे जो कल तक हम, आज संगत में हैं राग- रागिनी के। मुसाफिर से एक सच्चे झूठ में, बेवजह लबों पर मुस्कान दस्तक दे जाती हैं । रितेश "

 सच्चा झूठ"
मुस्कुराते हुए फूलों सा,
एक सच्चा झूठ है मेरा,
बसंत की हवावो में फैले इत्र सा
मैं भी जिवंत हो उठा हूं,
तुझ में ।

मौन थे जो कल तक हम,
आज संगत में  हैं राग- रागिनी के।

मुसाफिर से एक सच्चे झूठ में,
बेवजह लबों पर मुस्कान दस्तक दे जाती हैं ।

रितेश

सच्चा झूठ" मुस्कुराते हुए फूलों सा, एक सच्चा झूठ है मेरा, बसंत की हवावो में फैले इत्र सा मैं भी जिवंत हो उठा हूं, तुझ में । मौन थे जो कल तक हम, आज संगत में हैं राग- रागिनी के। मुसाफिर से एक सच्चे झूठ में, बेवजह लबों पर मुस्कान दस्तक दे जाती हैं । रितेश

सच्चा झूठ
मुस्कुराते हुए फूलों सा,
एक सच्चा झूठ है मेरा,
बसंत की हवावो में फैले इत्र सा
मैं भी जिवंत हो उठा हूं,
तुझ में ।

मौन थे जो कल तक हम,

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