बेच दी उसकी खुशियों के ख़ातिर अपनी इच्छाएं! मगर उस | हिंदी विचार

"बेच दी उसकी खुशियों के ख़ातिर अपनी इच्छाएं! मगर उसके मुल्क में मेरा नाम तक न था। ,,शिखा सिंह ,,"

 बेच दी उसकी खुशियों के ख़ातिर अपनी इच्छाएं!
मगर उसके मुल्क में मेरा  नाम तक न था।
,,शिखा सिंह ,,

बेच दी उसकी खुशियों के ख़ातिर अपनी इच्छाएं! मगर उसके मुल्क में मेरा नाम तक न था। ,,शिखा सिंह ,,

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