जब ज़हन मे बातें किसी ओर की लगने लग गयी है - 2
जब ज़हन मे बातें किसी ओर की लगने लग गयी है,
तो जिसके साथ जम रही थी, जिसके साथ खुशियाँ बढ़ रही थीं ,
वो भी बनते- बनते बिगड़ गयीं हैं।
जिंदगी में राहै खूब है जिंदगी में राहै खूब है कभी खुशियाँ तो कभी धुप है,
जिसको देखो
ख्वाहिशों का सैलाब लिए ऐसा,
कि सुकून की छाया नसीब नहीं है,
पर यह जिंदगी छोटी सी है-2 जो बनते बनते बिगड़ गई है,
बनते बनते बिगड़ गई है।
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