यादें हैं पर तुम नहीं। जब तुम हो तब भी यादें हैं।।

"यादें हैं पर तुम नहीं। जब तुम हो तब भी यादें हैं।। ये यादें ही तो हैं जो तुम्हारी, मोहब्बत को 'हिमालय' बनाती हैं। ये यादें ही तो हैं जो किसी और को ख्वाबों में भी न आने देती हैं।। हाँ! ये यादें ही तो हैं जो तुम्हारी खिलखिलाहट की ढाल बनाकर 'पतझड़' को न आने देती हैं। हाँ! ये यादें ही तो हैं जो जीवन की जटिलताओं के बीच सादगी की राह दिखाती हैं।।          - अलका शुक्ला"

 यादें हैं पर तुम नहीं।
जब तुम हो तब भी यादें हैं।।
ये यादें ही तो हैं जो तुम्हारी, मोहब्बत को 'हिमालय' बनाती हैं।
ये यादें ही तो हैं जो किसी और को ख्वाबों में भी न आने देती हैं।।
हाँ! ये यादें ही तो हैं जो तुम्हारी खिलखिलाहट की ढाल बनाकर 'पतझड़' को न आने देती हैं।
हाँ! ये यादें ही तो हैं जो जीवन की जटिलताओं के बीच सादगी की राह दिखाती हैं।।
         - अलका शुक्ला

यादें हैं पर तुम नहीं। जब तुम हो तब भी यादें हैं।। ये यादें ही तो हैं जो तुम्हारी, मोहब्बत को 'हिमालय' बनाती हैं। ये यादें ही तो हैं जो किसी और को ख्वाबों में भी न आने देती हैं।। हाँ! ये यादें ही तो हैं जो तुम्हारी खिलखिलाहट की ढाल बनाकर 'पतझड़' को न आने देती हैं। हाँ! ये यादें ही तो हैं जो जीवन की जटिलताओं के बीच सादगी की राह दिखाती हैं।।          - अलका शुक्ला

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