चांद , कुछ रूठा-रूठा हैं... असमा का.... लगता हैं | हिंदी शायरी

"चांद , कुछ रूठा-रूठा हैं... असमा का.... लगता हैं , आज फ़िर... मेरे चांद को देख आया हैं... . ©Tomar amit kashyap"

 चांद  , कुछ रूठा-रूठा हैं...
असमा का....
लगता हैं , आज फ़िर...
 मेरे चांद को देख आया हैं...




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©Tomar amit kashyap

चांद , कुछ रूठा-रूठा हैं... असमा का.... लगता हैं , आज फ़िर... मेरे चांद को देख आया हैं... . ©Tomar amit kashyap

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