कभी बच्चों सी झलकती हैं "नादानियां" मुझ मै, कभी इत | हिंदी श

"कभी बच्चों सी झलकती हैं "नादानियां" मुझ मै, कभी इतना संभलता हूं की "उम्र" कांप जाती हैं ! अधूरे पन्ने . ©narendra singh"

 कभी बच्चों सी झलकती हैं "नादानियां" मुझ मै,
कभी इतना संभलता हूं की "उम्र" कांप जाती हैं !

अधूरे पन्ने 













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©narendra singh

कभी बच्चों सी झलकती हैं "नादानियां" मुझ मै, कभी इतना संभलता हूं की "उम्र" कांप जाती हैं ! अधूरे पन्ने . ©narendra singh

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