आओ बैठो कभी किसी इतवार को, मैं वैसा हूं नहीं, जैस | हिंदी Shayari

"आओ बैठो कभी किसी इतवार को, मैं वैसा हूं नहीं, जैसा मिलता हूं, "सोमवार" को... ©{पंडित जी}"

 आओ बैठो कभी किसी इतवार को,
 मैं वैसा हूं नहीं, जैसा मिलता हूं, "सोमवार" को...

©{पंडित जी}

आओ बैठो कभी किसी इतवार को, मैं वैसा हूं नहीं, जैसा मिलता हूं, "सोमवार" को... ©{पंडित जी}

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