"विश्वगुरु का दर्जा पाकर,
हम जड़ न अपनी भूलें है,
ईमान है बढ़ते कदमों का आधार जहां,
उस ईमानदारी को न भूलें है,
कहानी शुरू हुई है इसी से हमारी,
और इसी ने हमें संवारा है,
जहां की नजरों में अभी भी सफल नहीं है हम,
पर हमारा ईमान ही हमारी कामयाबी का इशारा है।
"