दिसम्बर-ए-एहसास भी अब कह चली है अलविदा।
आते हो तुम हर साल
कुछ बेहतरीन एहसासों के साथ,
ठंडी फुहारों में गुनगुनाहट
भरी धूप के साथ,
इन बर्फीली हवाओं की लहरों के साथ
और न जानें क्या क्या एहसास जुड़ें हैं तुमसे...
क्या याद भी है तुमको,
छुआ था तुमने मेरी रूह को
कुछ खास एहसासों के साथ।
याद है मुझे वो जगह जहाँ बिताए थे
तुमने कुछ खास पल मेरे साथ।
वो पेड़, वो हरियाली,वो कोहरा,
हल्की-हल्की सुकून भरी धूप,
सबकुछ समेटे हुए हो तुम अपने साथ।
नई साल आते ही कह जाते हो तुम
अलविदा लेकिन तुम्हारे एहसास
फिर भी रह जाते हैं हम सब के साथ।
Saurabh kumar anand
©S K ANAND
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