इन्हें इस हाल में छोड़कर इबादत हो नहीं सकती इन्हे | हिंदी शायरी

"इन्हें इस हाल में छोड़कर इबादत हो नहीं सकती इन्हें संवार देगा तो भक्ति तेरी खो नहीं सकती तुम कैसे हिंदू और कैसे मुसलमान हो इससे बत्तर और इंसानीयत हो नहीं सकती शायर - बाबू कुरैशी"

 इन्हें इस हाल में छोड़कर इबादत हो नहीं सकती

इन्हें संवार देगा तो भक्ति तेरी खो नहीं सकती

तुम कैसे हिंदू और कैसे मुसलमान हो

इससे बत्तर और इंसानीयत हो नहीं सकती

शायर - बाबू कुरैशी

इन्हें इस हाल में छोड़कर इबादत हो नहीं सकती इन्हें संवार देगा तो भक्ति तेरी खो नहीं सकती तुम कैसे हिंदू और कैसे मुसलमान हो इससे बत्तर और इंसानीयत हो नहीं सकती शायर - बाबू कुरैशी

#मर गया ज़मीर

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