"डरा रही हो या जीना सीखा रही हो
ऐ जिन्दगी...
मेरे खिलाफ़ ये कौन सी साज़िश रचा रही हो..?
अगर मुझे रुलाना चाहती हो तो सुन लो
इतनी आसानी से थोड़ी ना हार जाऊँगा
मैं मुस्कराउंगा... हर बार मुस्कराउंगा
ऐ जिन्दगी....
मुस्कराते हुए मैं तुझे हर बार हराउंगा..!
©Rishabh"