इज़हार
अपनी कलम
रात भर जाग कर चन्द शब्दों में सिर्फ़ तुम्हें लिखा था।
चाँद भी आईने में गुम रहा सिर्फ तुम्हारा चहरा दिखा था।
अन्धेरे में बैठकर जो ख़त तुम्हें लिखा था।
अच्छा लगे तो द़िल के संदूक में रख लेना
ऐसा ही कुछ मुझे तुम्हारे इश्क़ में दिखा था।
कान्ता कुमावत
©kanta kumawat
इश्क-प्रीत-लव
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