bench दर्द पुराने हाल पुराने, जल्दी गुजरो साल पुराने..
साथ है फिर भी उदास है हम,
दुखो के इतने क्यू पास है हम,
नये साल की खुशी में दुनिया झूम रही है,
और ब्धहवास है हम,,
दर्द पुराने हाल पुराने, जल्दी गुजरो साल पुराने...
दिलो का मौसम ये सर्द क्यों है,
है मोहब्बत इतनी तो दर्द क्यों है,
नये साल की नई उम्मीदों पे गुजरी गम की ये गर्द क्यू है,
नये ख्वाब थे जो तारे बन के आँखों में आ के टूटे,
किये थे तुमने हजारो वादे,
तुम्हारी तरह थे वो भी झूठे,,
दर्द पुराने हाल पुराने, जल्दी गुजरो साल पुराने...
जहा पे उम्मीद थी सबसे कम,
वही जुड़े हैं दिलो के धागे,,
कोई नहीं ये जान पाया किस घड़ी में है इश्क़ जागे,
दर्द पुराने ए हाल पुराने, जल्दी गुजरो साल पुराने...
बड़ी कोशिशे की है दिल ने, नही मिटी मगर ये दूरी
नये साल में भी ये हमारी कहानी फिर से रही अधूरी,
दर्द पुराने हाल पुराने जल्दी गुजरो साल पुराने..
ख़फ़ा हुई इस तरह से किस्मत,
के प्यार दोनो से साथ छुटा..
था इतने बरसो से जिसको थामा, हाथों से वो हाथ छुटा..
दर्द पुराने हाल पुराने जल्दी गुजरो साल पुराने...
शाम ढली है उम्र की लेकिन सुकून का पता नहीं,
गलतियां हमारी अपनी है या वक्त तेरी पता नही..,
दर्द पुराने हाल पुराने जल्दी गुजरो साल पुराने..!
©Nikita Gaur
#Bench