अविरल बूंद ये ओस की, पड़े जो सागर तीर। बूंद मिटी स | हिंदी Poetry

"अविरल बूंद ये ओस की, पड़े जो सागर तीर। बूंद मिटी सागर भई, दोनों में एकही नीर।। ©अविरल अनुभूति"

 अविरल बूंद ये ओस की, पड़े जो सागर तीर।
बूंद मिटी सागर भई, दोनों में एकही नीर।।

©अविरल अनुभूति

अविरल बूंद ये ओस की, पड़े जो सागर तीर। बूंद मिटी सागर भई, दोनों में एकही नीर।। ©अविरल अनुभूति

बूंद

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