अगर अच्छे तैराक हो तो
कभी उतरो मेरे दिल की गहराई में
दिन हँसके निकाल देते है साथ में सबके
रातें गुज़रती है तन्हाई में
गुमनाम राहों के अकेले मुसाफ़िर हो चलें अब हम
डर से सहम जाते है कभी ख़ुद की ही परछाई में
एहसास है क्या खो दिया मैंने
जो मौज मिलती है तेरी रहनुमाई में
©Rahul Sethi
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