अगर अच्छे तैराक हो तो कभी उतरो मेरे दिल की गहराई | हिंदी Poetry

"अगर अच्छे तैराक हो तो कभी उतरो मेरे दिल की गहराई में दिन हँसके निकाल देते है साथ में सबके रातें गुज़रती है तन्हाई में गुमनाम राहों के अकेले मुसाफ़िर हो चलें अब हम डर से सहम जाते है कभी ख़ुद की ही परछाई में एहसास है क्या खो दिया मैंने जो मौज मिलती है तेरी रहनुमाई में ©Rahul Sethi"

 अगर अच्छे तैराक हो तो 
कभी उतरो मेरे दिल की गहराई में 

दिन हँसके निकाल देते है साथ में सबके
रातें गुज़रती है तन्हाई में 

गुमनाम राहों के अकेले मुसाफ़िर हो चलें अब हम 
डर से सहम जाते है कभी ख़ुद की ही परछाई में 

एहसास है क्या खो दिया मैंने
जो मौज मिलती है तेरी रहनुमाई में

©Rahul Sethi

अगर अच्छे तैराक हो तो कभी उतरो मेरे दिल की गहराई में दिन हँसके निकाल देते है साथ में सबके रातें गुज़रती है तन्हाई में गुमनाम राहों के अकेले मुसाफ़िर हो चलें अब हम डर से सहम जाते है कभी ख़ुद की ही परछाई में एहसास है क्या खो दिया मैंने जो मौज मिलती है तेरी रहनुमाई में ©Rahul Sethi

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