जीवन किसी बाहरी सहायता की प्रतीक्षा करने का नाम नहीं है।
जीवन किसी ख़ास मसीहा के स्वागत के लिए खड़े रहने का नाम नहीं है।
कोई मदद नहीं आने वाली बाहर से, सारा इंतज़ार व्यर्थ है।
अपनी मदद तुम्हें खुद ही करनी पड़ेगी ।
यह सीख कर्मण्येवाधिकारस्ते' पुस्तक से ली गयी है।
©यथार्थवादी
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