White सब रिश्ते नाते हवा हो गए |
जज़्बात ना जाने कहाँ खो गए ||
करते थे एक दूसरे की केयर निस्वार्थ |
अपनेपन के भाव अब धुआँ हो गए ||
होता था जिनका परिवार भरा -पुरा |
आज वो माँ पापा अकेले हो गए ||
रहते है सब अकेले अपने कमरे मे |
संयुक्त परिवार ना जाने क्यों तबाह हो गए ||
घुमाते है कुत्ते बिल्लियाँ गोद -गाड़ी मे |
पर इंसान इंसानियत से खफा हो गए ||
खुब होते थे हसीं ठिठोले गली कूचे मे |
अब मोबाइल पर सबसे वास्ता हो गए ||
करते थे जो कद्र एक दूसरे इंसानो की |
वो इंसान ना जाने कहाँ खो गए ||
सृष्टि सिंह ✍️
©Bindass writer
#इंसान से इंसान की दुरी