ये कैसी सियासत है मेरे मुल्क पर हावी
देश को अंदर ही अंदर खत्म कर दे रहे हैं दीमी की भाँति
ये सियासत के खूनी दरिंदे मजहब के नाम पर खेलते हैं खून की होली
अधिकारो के लिए आवाज उठाने पर सियासत के नरभक्षी चलाते हैं गोली
©Anuj Kushwaha
सियासत कविता
#5LinePoetry