ना दबी रह गयीं कोई आरज़ू-ए-इश्क़ की मिल गयीं हैं | हिंदी कविता

"ना दबी रह गयीं कोई आरज़ू-ए-इश्क़ की मिल गयीं हैं सब हमें तेरे शोहरतें प्यार की जिस्म ना छूऊं तेरा पर छू लिया हूँ मन तेरा रूह तक थीं जो हसरतें रूह की मोहब्बतें बन गयीं रूह को चाहिए और क्या रूह से रूह जो मिल गयी बदल सकी ना जो कभी वो आशिकी हमें है मिल गयी ना जी सका है उम्रभर कोई हसरतों को पाल कर ज़रूरतें ख़तम ना हो सकीं पर ख़तम ज़िन्दग़ी हो गयी खो दिये हम वक़्त सभी एक बेहतरीन वक़्त की तलाश में ओर वक़्त मिला भी तो, लो ज़िन्दग़ी सिमट गयी..... राone@ज़िन्दग़ी ©Raone"

 ना दबी रह गयीं कोई
आरज़ू-ए-इश्क़ की

मिल गयीं हैं सब हमें
तेरे शोहरतें प्यार की

जिस्म ना छूऊं तेरा
पर छू लिया हूँ मन तेरा

रूह तक थीं जो हसरतें
रूह की मोहब्बतें बन गयीं

रूह को चाहिए और क्या
रूह से रूह जो मिल गयी

बदल सकी ना जो कभी
वो आशिकी हमें है मिल गयी

ना जी सका है उम्रभर कोई
हसरतों को पाल कर

ज़रूरतें ख़तम ना हो सकीं
पर ख़तम ज़िन्दग़ी हो गयी

खो दिये हम वक़्त सभी
एक बेहतरीन वक़्त की तलाश में

ओर वक़्त मिला भी तो, लो
ज़िन्दग़ी सिमट गयी.....

राone@ज़िन्दग़ी

©Raone

ना दबी रह गयीं कोई आरज़ू-ए-इश्क़ की मिल गयीं हैं सब हमें तेरे शोहरतें प्यार की जिस्म ना छूऊं तेरा पर छू लिया हूँ मन तेरा रूह तक थीं जो हसरतें रूह की मोहब्बतें बन गयीं रूह को चाहिए और क्या रूह से रूह जो मिल गयी बदल सकी ना जो कभी वो आशिकी हमें है मिल गयी ना जी सका है उम्रभर कोई हसरतों को पाल कर ज़रूरतें ख़तम ना हो सकीं पर ख़तम ज़िन्दग़ी हो गयी खो दिये हम वक़्त सभी एक बेहतरीन वक़्त की तलाश में ओर वक़्त मिला भी तो, लो ज़िन्दग़ी सिमट गयी..... राone@ज़िन्दग़ी ©Raone

आरज़ू-ए-इश्क़ की

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