White लूट गई गुड़िया की सांसे वासना के खेल में,
आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।
न्याय का ये दंभ देखो,हो रहा मलखंभ देखो।
फौज पूरी है लगी पड़ी है आज उसके बेल में।।
आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।
धर्म जाति और पार्टी बांट कर बहला रही।
स्वार्थ में पोषित कर रावण इठला रही ।
डर रही है लड़किया स्कूल कॉलेज रेल में।
कृष्ण की दरकार क्या जो दूर से ही चीर दे
भीम लाओ जो लड़े फिर दुःसाशन चीर दे
लिंग काटो पापियों के तल के रख दो तेल में।
दी कलम अब बेटियों के हाथ में तलवार दो
ये सिखाओ जो भी छेड़े तत्क्षण उसे तुम मार दो
न्याय अंधा ,लोकतंत्र गूंगा , बहरी ये सरकार है
दंभी पुरषार्थ का ये आत्ममुग्ध व्यवहार है।
डर से हो तो डर बनाओ,सर से हो तो सर को काटो।
जुल्म के ऐसे समय में बेटियों का घर न बांटो
बेटियां अपने यहां तो होती सब समाज की।
मिल के रक्षा करनी हो बेटियों के लाज की।
हो जमीं का कोई टुकड़ा,कोई भाषा भाषी हो।
बस आवाज यही आवाज आए पापियों को फांसी हो।
पापी वो जो सोचते हैं बेटियां है सेल में।
©निर्भय चौहान
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