नव गीत रचें नव छंद बुनें
नव संगीत बजे अविराम
नव उमंग की नई सृष्टि में
नव रचना ही रचें ललाम
नव विहाग हो नया राग हो
नए सुरों का गूंजे गान
नव किरणों की नई ज्योति से
नव आलोक झरे अम्लान
नव कलिका की नई सुरभि सी
नव आशा संग डूबे शाम
नये प्यार की नई आस ले
नई सुबह को करें प्रणाम
©Mahendra Joshi
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