नव गीत रचें नव छंद बुनें नव संगीत बजे अविराम नव उम | हिंदी कविता

"नव गीत रचें नव छंद बुनें नव संगीत बजे अविराम नव उमंग की नई सृष्टि में नव रचना ही रचें ललाम नव विहाग हो नया राग हो नए सुरों का गूंजे गान नव किरणों की नई ज्योति से नव आलोक झरे अम्लान नव कलिका की नई सुरभि सी नव आशा संग डूबे शाम नये प्यार की नई आस ले नई सुबह को करें प्रणाम ©Mahendra Joshi"

 नव गीत रचें नव छंद बुनें
नव संगीत बजे अविराम
नव उमंग की नई सृष्टि में
नव रचना ही रचें ललाम

नव विहाग हो नया राग हो
नए सुरों का गूंजे गान
नव किरणों की नई ज्योति से
नव आलोक झरे अम्लान

नव कलिका की नई सुरभि सी
नव आशा संग डूबे शाम
नये प्यार की नई आस ले
नई सुबह को करें प्रणाम

©Mahendra Joshi

नव गीत रचें नव छंद बुनें नव संगीत बजे अविराम नव उमंग की नई सृष्टि में नव रचना ही रचें ललाम नव विहाग हो नया राग हो नए सुरों का गूंजे गान नव किरणों की नई ज्योति से नव आलोक झरे अम्लान नव कलिका की नई सुरभि सी नव आशा संग डूबे शाम नये प्यार की नई आस ले नई सुबह को करें प्रणाम ©Mahendra Joshi

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