इतनी भी मसरूफियत न बढ़ाया कर ऐ जिन्दगी अल्फ़ाज खामोश | हिंदी Shayari

"इतनी भी मसरूफियत न बढ़ाया कर ऐ जिन्दगी अल्फ़ाज खामोश हो जाए ग़ज़ल भी रूठने लगे -✍️काव्य प्रिया✍️"

 इतनी भी मसरूफियत न बढ़ाया कर ऐ जिन्दगी
अल्फ़ाज खामोश हो जाए ग़ज़ल भी रूठने लगे
-✍️काव्य प्रिया✍️

इतनी भी मसरूफियत न बढ़ाया कर ऐ जिन्दगी अल्फ़ाज खामोश हो जाए ग़ज़ल भी रूठने लगे -✍️काव्य प्रिया✍️

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