White पुरुषो को भी चाहिए लाड़ दुलार छोटी सी बात मे | हिंदी Poetry

"White पुरुषो को भी चाहिए लाड़ दुलार छोटी सी बात में रूठ जाने के बाद कोई बच्चो की तरह पुचकारने वाला साथ उन्हें भी चाहिए एक मजबूत कन्धा हाथों में हाथ लेने वाली संगिनी गालों पर थपकी देने वाली सांत्वना माथे पर चुम्बन के बदले हर लेने वाली परेशानी मुस्करा कर प्यार जताने वाली उनकी अहमियत मनाकर खाना खिलाने वाले दो 'बोल' के निवाले 'गैरजरूरी' फिक्र को बेहद खास दिखाने वाली घर की पहली चौखट पर इंतजार करती 'औरत' तेल, हल्दी नमक, स्कूल फीस, बिजली बिल दवाइयां,घर के तमाम रोजमर्रा के खर्चो की जगह एक शाम 'बैचलर' आजादी की तरह कहीं दूर दोस्तों के साथ 'बेफिक्री' से घूमना कभी माँ की गोद पर सिर रखकर बच्चा बन जाना कभी पत्नी के कंधे पर सिर रख 'निश्चिंत' हो जाना कभी बच्चो के संग खेल में 'बेईमानी' से जीत जाना जिम्मेदारियों से एक दिन के लिए 'मुक्त' हो जाना पुरुष भी तो कभी 'उपेक्षित' भाव महसूसता होगा? ©Rishi Ranjan"

 White पुरुषो को भी चाहिए लाड़ दुलार
छोटी सी बात में रूठ जाने के बाद
कोई बच्चो की तरह पुचकारने वाला साथ
उन्हें भी चाहिए एक मजबूत कन्धा
हाथों में हाथ लेने वाली संगिनी
 गालों पर थपकी देने वाली सांत्वना
माथे पर चुम्बन के बदले हर लेने वाली परेशानी
मुस्करा कर प्यार जताने वाली उनकी अहमियत
 मनाकर खाना खिलाने वाले दो 'बोल' के निवाले
'गैरजरूरी' फिक्र को बेहद खास दिखाने वाली
घर की पहली चौखट पर इंतजार करती 'औरत'
तेल, हल्दी नमक, स्कूल फीस, बिजली बिल
दवाइयां,घर के तमाम रोजमर्रा के खर्चो की जगह
 एक शाम 'बैचलर' आजादी की तरह
कहीं दूर दोस्तों के साथ 'बेफिक्री' से घूमना
कभी माँ की गोद पर सिर रखकर बच्चा बन जाना
कभी पत्नी के कंधे पर सिर रख 'निश्चिंत' हो जाना
कभी बच्चो के संग खेल में 'बेईमानी' से जीत जाना
जिम्मेदारियों से एक दिन के लिए 'मुक्त' हो जाना

पुरुष भी तो कभी 'उपेक्षित' भाव महसूसता होगा?

©Rishi Ranjan

White पुरुषो को भी चाहिए लाड़ दुलार छोटी सी बात में रूठ जाने के बाद कोई बच्चो की तरह पुचकारने वाला साथ उन्हें भी चाहिए एक मजबूत कन्धा हाथों में हाथ लेने वाली संगिनी गालों पर थपकी देने वाली सांत्वना माथे पर चुम्बन के बदले हर लेने वाली परेशानी मुस्करा कर प्यार जताने वाली उनकी अहमियत मनाकर खाना खिलाने वाले दो 'बोल' के निवाले 'गैरजरूरी' फिक्र को बेहद खास दिखाने वाली घर की पहली चौखट पर इंतजार करती 'औरत' तेल, हल्दी नमक, स्कूल फीस, बिजली बिल दवाइयां,घर के तमाम रोजमर्रा के खर्चो की जगह एक शाम 'बैचलर' आजादी की तरह कहीं दूर दोस्तों के साथ 'बेफिक्री' से घूमना कभी माँ की गोद पर सिर रखकर बच्चा बन जाना कभी पत्नी के कंधे पर सिर रख 'निश्चिंत' हो जाना कभी बच्चो के संग खेल में 'बेईमानी' से जीत जाना जिम्मेदारियों से एक दिन के लिए 'मुक्त' हो जाना पुरुष भी तो कभी 'उपेक्षित' भाव महसूसता होगा? ©Rishi Ranjan

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