मुझे पता है तुम भी अंदर से पूरी तरह टूटे हो
फिर क्यूँ चेहरे से यूँ बेवजह मुस्कुराने लगे हो
अपना दीवाना इस कदर बना के मुझे
मुझसे यूँ नज़रे क्यूँ चुराने लग गए हो
मुझे सबकुछ बताने वाले
क्यों मुझसे अब तुम सबकुछ छुपाने लगे हो
हर अच्छे, बुरे वक़्त में मेरा साथ देने वाले
अाज यूँ रोता देख कर भी
क्यूँ तुम खुद को यूँ मेरे अजनबी बताने लगे हो
नफरत की ये तलब कैसी है
जो तुम मोहब्बत की जलती इस आग को बुझाने लगे हो !!
©Priiii
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