जुल्मत नहीं है ये तेरी मंशा का धुन्ध है
तेरे इश्क मे लबालब एक सुकून है
क्या ढूंढता है हवा मे तू
हर जगह मेरा ही फितूर है
कहकशां सा जो दिख रहा है
फाल्गुन का हुस्ने-ए- शुरूर है
मेरे हुस्न-ए-जमाल मे कुछ नहीं
सारी कशिश का जबाब सिर्फ तू है
©chandni
#khoobsurat