देह ,मन, धरा, गगन सब बसंत यहाँ। तिरंगे को चुमे सा | हिंदी शायरी

"देह ,मन, धरा, गगन सब बसंत यहाँ। तिरंगे को चुमे सारा गणतंत्र जहाँ।। धधक रही ज्वाला हर रक्त के कण कण में। गिरते पत्तो पर आबाद हैं ये हिंद धरा।। ##बसंत पंचमी ##गणतंत्र दिवस ©ravi parihar"

 देह ,मन, धरा, गगन सब बसंत यहाँ।
तिरंगे को चुमे  सारा गणतंत्र जहाँ।। 

धधक रही ज्वाला हर रक्त के कण कण में। 
गिरते पत्तो पर आबाद हैं ये हिंद धरा।।

##बसंत पंचमी
##गणतंत्र दिवस

©ravi parihar

देह ,मन, धरा, गगन सब बसंत यहाँ। तिरंगे को चुमे सारा गणतंत्र जहाँ।। धधक रही ज्वाला हर रक्त के कण कण में। गिरते पत्तो पर आबाद हैं ये हिंद धरा।। ##बसंत पंचमी ##गणतंत्र दिवस ©ravi parihar

#RepublicDay

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