White गर मान लेती मेरी बात तो यूं जर्ब ना पड़ता।
पर बातों को वो मेरी बेकार समझ बैठी।
जो एक टुकड़ा था ज़मीं
की पैरों तले उसकी।
नादानी में वो उसे सारा संसार समझ बैठी।
गलती नहीं हे उसकी येतो रिवायात हे दुनियां की।
बस वो अंधी थी जो रोशनी को अंधकार समझ बैठी।
©nuruddin Dilwar
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