*ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,* *ग़म फुरसत में थे - | हिंदी विचार

"*ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,* *ग़म फुरसत में थे - ठहर गए...!* *"लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है ....* *पहले मुड़ कर देखते थे ....* *अब देख कर मुड़ जाते हैं* *आज परछाई से पूछ ही लिया* *क्यों चलती हो , मेरे साथ* *उसने भी हँसके कहा-* *दूसरा कौन है तेरे साथ* ©अंशुल गुरु"

 *ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,*
*ग़म फुरसत में थे - ठहर गए...!*
*"लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है ....*
*पहले मुड़ कर देखते थे ....*
 *अब देख कर मुड़ जाते हैं*
 *आज परछाई से पूछ ही लिया*
*क्यों चलती हो , मेरे साथ*
*उसने भी हँसके कहा-*
*दूसरा कौन है तेरे साथ*

©अंशुल गुरु

*ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,* *ग़म फुरसत में थे - ठहर गए...!* *"लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है ....* *पहले मुड़ कर देखते थे ....* *अब देख कर मुड़ जाते हैं* *आज परछाई से पूछ ही लिया* *क्यों चलती हो , मेरे साथ* *उसने भी हँसके कहा-* *दूसरा कौन है तेरे साथ* ©अंशुल गुरु

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