सर-ए-सहरा मुसाफ़िर को सितारा याद रहता है;
मैं चलता हूँ मुझे चेहरा तुम्हारा याद रहता है;
तुम्हारा ज़र्फ़ है तुम को मोहब्बत भूल जाती है;
हमें तो जिस ने हँस कर भी पुकारा याद रहता है;
मोहब्बत में जो डूबा हो उसे साहिल से क्या लेना;
किसे इस बहर में जा कर किनारा याद रहता है;
बहुत लहरों को पकड़ा डूबने वाले के हाथों ने;
यही बस एक दरिया का नज़ारा याद रहता है;
मैं किस तेज़ी से ज़िंदा हूँ मैं ये तो भूल जाता हूँ;
नहीं आना है दुनिया में दोबारा याद रहता है।
बे इंतेहा मुहब्बत