White " विषय अनुरूप ज्ञान"
लिखते हैं आज कुछ
विषय वस्तु अनुरूप ज्ञान।
कहीं छाया तो कहीं धूप
फिर कैसा और क्यों अभिमान
प्राइमरी वाली नखरा करे
हाई क्लास वाली करे प्यार।
मिडिल वाली मन को भाए
जाति धर्म बना दीवार।।
मैथ वाली मोहब्ब्त करी
अंग्रेज़ी वाली आंखे चार।
हिन्दी वाली होश उड़ा गईं
संस्कृत वाली प्रेम आधार ।।
हिस्ट्री वाली हिसाब करे
इकोनॉमिक्स वाली दर्द बढ़ाएं।
साइंस वाली चाहत शौक रही
ज्योग्राफी वाली दिल में समाए।।
ऊर्दू वाली परी बड़ी सुन्दर लगे
भोजपुरी वाली स्नेह रास रचाती।
केमिस्ट्री वाली घुलना मिलना चाहें
फिजिक्स वाली दुर भाग जाती।।
बायोलॉजी वाली करीब जो आती
दिल में कम्पन बढ़ाती।
यूपी बंगालन झारखंडी हीरोइन
सब हैं भाव बडी खाती।।
मनोविज्ञान वाली मन को समझे
योगा वाली योगसन सिखाए।
राजनीति शास्त्र वाली खेल खेलें
नागरिक शास्त्र वाली सभ्य बनाए।
प्राकृत भाषा वाली प्यारी लगे
गृह विज्ञान वाली ललचाए।
सोशियोलॉजी साथ निभाती नहीं
विद्यार्थी रूप प्रकाशित हों जाए।।
स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
भोजपुर बिहार
©Prakash Vidyarthi
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