तस्सली मिल जाए बस यही काफ़ी है,
मेरे दिल को सुकून मिल जाए बस यही काफ़ी है ..!
दीवानों में से इक में भी हूं बस यही जान ले,
इक नज़र मुझ को देख ले बस यहीं काफ़ी है..!
रूह तक बस जाऊ ये तमन्ना है मेरी,
दिल में थोड़ी जगह मिल जाए बस यही काफ़ी है..!
चांद तारे तोड़कर लाऊंगा ये सिर्फ़ कहने की बात है,
तेरी हर मुस्कान की वज़ह बनू बस यहीं काफ़ी है .!
फासला दरमिया बहौत है 'अमन'
तेरी यादों में रहूं बस यहीं काफ़ी है
इमरानखान पठान 'अमन'
©imran pathan