सोचता हूं के फिर खिल जाऊं कलियों की तरह क्योंकि | हिंदी Love

"सोचता हूं के फिर खिल जाऊं कलियों की तरह क्योंकि लगता है अब तुम नहीं मिलोगी अपनों की तरह।। @वकील साहब ©love you zindagi"

 सोचता हूं के फिर खिल जाऊं कलियों की तरह 
क्योंकि
 लगता है अब तुम नहीं मिलोगी अपनों की तरह।।

@वकील साहब

©love you zindagi

सोचता हूं के फिर खिल जाऊं कलियों की तरह क्योंकि लगता है अब तुम नहीं मिलोगी अपनों की तरह।। @वकील साहब ©love you zindagi

#Leave #अपने #बिछड़ना #कलियां
#प्यार😍 #ब्रोकन

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