"White चाहत नहीं सितारों से सजा कोई समा मिले
उसके कदम जहा पड़े मुझे वहीं दोनों जहाँ मिले
एक उसे देखने को तरस गई ये आँखें
कहीं से तो मुझे उसका कोई बयाँ मिले
उसे दर्जा खुदा का दिया है मैंने
न जाने इस ज़मीं पर अब वो मुझे कहाँ मिले
रोज गुजरता हूँ एक सफ़र से मैं
एक तलाश मे उसका कभी मकाँ मिले
समर्पित रहेगी उसी के लिए जिन्दगी मेरी
नहीं शिकायत मुझे इन राहो पर फिर क्या मिले
©Ravikant Dushe
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