ना जानें कितने ख़्वाब इन आंखों में संजो के बैठी हू

"ना जानें कितने ख़्वाब इन आंखों में संजो के बैठी हूं, तेरे इंतज़ार में श्यामा मैं अपना सुध बुध खो के बैठी हूं , प्रेम के धागे में सांवरिया तेरे नाम के मोती पिरों के बैठी हूं , दिन के उजाले, ये रात के अंधियारे में सब एक कर के बैठी हूं, तेरे आने की उम्मीद में गोविंदा मैं श्रृंगार सारे कर बैठी हूं, ना भूख लगे ना प्यास लगे मैं हाल अपना ऐसा कर बैठी हूं, चले आओ ना मुझसे मिलने है माधव , है नन्दलाला मैं वर्षो से तुझसे मिलन की आश लिए बैठी हूं , ©Ashish panwar"

 ना जानें कितने ख़्वाब इन आंखों में संजो के बैठी हूं,
तेरे इंतज़ार में श्यामा मैं अपना सुध बुध खो के बैठी हूं ,

प्रेम के धागे में सांवरिया तेरे नाम के मोती पिरों के बैठी हूं ,
दिन के उजाले, ये रात के अंधियारे में सब एक कर के बैठी हूं,

तेरे आने की उम्मीद में गोविंदा मैं श्रृंगार सारे कर बैठी हूं,
ना भूख लगे ना प्यास लगे मैं हाल अपना ऐसा कर बैठी हूं,

चले आओ ना मुझसे मिलने है माधव , है नन्दलाला
मैं वर्षो से तुझसे मिलन की आश लिए बैठी हूं ,

©Ashish panwar

ना जानें कितने ख़्वाब इन आंखों में संजो के बैठी हूं, तेरे इंतज़ार में श्यामा मैं अपना सुध बुध खो के बैठी हूं , प्रेम के धागे में सांवरिया तेरे नाम के मोती पिरों के बैठी हूं , दिन के उजाले, ये रात के अंधियारे में सब एक कर के बैठी हूं, तेरे आने की उम्मीद में गोविंदा मैं श्रृंगार सारे कर बैठी हूं, ना भूख लगे ना प्यास लगे मैं हाल अपना ऐसा कर बैठी हूं, चले आओ ना मुझसे मिलने है माधव , है नन्दलाला मैं वर्षो से तुझसे मिलन की आश लिए बैठी हूं , ©Ashish panwar

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